साधक के सामने बड़ी समस्या यह आती है की आखिर वो पहली बार किस मंत्र की साधना करें! और नए साधक को ये प्रश्न हमेशा सताता हैं की साधना शुरू कहाँ से करें! क्यों की आज के इस भागदौड की दुनिया वो न गुरूजी के पास ज्यदा देर तक रहा सकता हैं, ना साधनाओ के बारे मैं किसी और से बात कर सकता हैं! साधको की इस समस्या का समाधान करने के लियें मैं आपको सधंओंके प्रकार आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ! इन से साधको को साधनाओं के प्रकारों के बारे मैं जानकारी भी होंगी और साधना किस की करनी हैं ये भी उनको समजने मैं आसानी होंगी! और वो ये भी जन जायेगा की ये साधना जगत मैं किस समस्या के लियें किस सधना को करना जरुरी हैं!
साधनाओ के दस प्रकार होते हैं!
- शांति
सकाम :- निष्काम साधना का हीं ये दूसरा रूप हैं! सकाम साधना में दशकर्म और सभी लौकिक कामनाओ की साधनाएँ आती हैं!
- पौष्टिक :- शांतिकर्म, ग्रहशांति, देवपूजन, स्वास्थ लाभ की साधनाएं, उद्योग-व्यपार के लाभ की साधनाएं, धन लाभ की साधनाएं, ये आदी अस्ध्नाएं पौष्टिक साधनाओ में आती हैं!
- मोहन :- किसी प्राणी को दृष्टी या स्वरुप मात्र से अपने प्रति मोहित करना मोहन क्रिया कहलाता हैं! इसके लियें मोहन तंत्र-यन्त्र-मंत्र को भी सम्पन्न किया जाता हैं!
- उचाटन :- इस क्रिया द्वारा मनुष्य या पशु-पक्षी अपने स्वास्थ से भ्रष्ट हो जाते हैं, इज्जत और मन सम्मान भी खो देते हैं!ये उचाटन प्रभाव थोड़े या जायदा या जन्मा भर के लियें जीवो पर होता हैं!
- वशीकरण :- जिस क्रिया द्वारा वक्ती या पशु को अपने वश किया जाता हैं! उस क्रिया को वशीकार क्रिया कहते हैं! इस क्रिया में मान्त्रिक जैसा कहेगा वक्ती वैसा हैं करेगा! इसमें जिसपर ये क्रिया की हो उसे अच्छा या बुरा इसकी समज नहीं रहती !
- आकर्षण :- जिस तंत्र या मंत्र क्रिया द्वारा दूर रहने वाला या खोये हुयें मनुष्य या प्राणी-पक्षी को अपनी तरफ आकर्षित किया जाता हैं! इस क्रिया के अनेको देवता हैं,और उनके सेकड़ो मंत्र भी हैं! इस क्रिया द्वारा हम अच्छा परोपकार कर सकते हैं!
- स्तम्भन :- किसी पशु-पक्षी या फिर इन्सान आदी जीवों की गति को रोक देना स्तम्भन कहलाता हैं! इस क्रिया के जरियें प्रनिवों की बुद्धि के साथ-साथ उनके शारीर को भी स्तंभित किया जाता हैं! इस क्रिया के प्रभाव से प्राणी कितना भी प्रयत्न करें पर वो प्रगति नहीं कर सकता हैं!
- विद्वेषण :- जिस क्रिया या मंत्र विद्या के द्वारा वक्तियो , दो जीवों ,दो प्र्रिवारों के बिच वैमनस्याता शत्रुता की जाती हैं उसे विद्वेषण खाते हैं! इस विद्या का उदहारण आपको अपने आसपास नजर आयेगा जलन वश लूग ये क्रिया ज्यादा करते हैं!
- मारण :- इस क्रिया द्वारा अन्य प्राणी याने पशु-पक्षी और मनुष्य की जीवन लीला समाप्त की जाती हैं! हाँ साक्ष्यात मृतु हैं इसका परिणाम होता हैं! ये खुले आम सबके सामने किया जाने वाला खून होता हैं जिसका साबुत किसी को पात नहीं चलता!









